भारत की पहली महिला राज्यपाल कौन थी | bharat ki pahli mahila rajyapal

क्या आप जानते है भारत की पहली महिला राज्यपाल कौन थी राज्यपाल जिसे हम अंग्रेजी में गवर्नर भी कहते है । अगर नहीं जानते हो तो इस लेख द्वारा आपके प्रश्नों का उत्तर आपको मिल जायेगा तो चलिए जानते है भारत की पहली महिला राज्य पाल कौन थी । bharat ki pahli mahila rajyapal इसके लिए सबसे पहले जान ले की राज्यपाल क्या है ।

राज्यपाल

राज्यपाल की नियुक्ति राज्यों में होती है तथा केंद्र प्रशासित प्रदेशों में उपराज्यपाल की नियुक्ति होती है राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल (गवर्नर) होता है, जो मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करता है। कुछ मामलों में राज्यपाल को विवेकाधिकार दिया गया है, ऐसे मामले में वह मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना भी कार्य करता है।

राज्यपाल अपने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं। इनकी स्थिति राज्य में वही होती है जो केन्द्र में राष्ट्रपति की होती है। केन्द्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल होते हैं। 7 वे संशोधन 1956 के तहत एक राज्यपाल एक से अधिक राज्यो के लिए भी नियुक्त किया जा सकता है।

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संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार- राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से की जाएगी, किन्तु वास्तव में राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफ़ारिश पर की जाती है। तथा राज्यपाल की कार्य अवधि उसके पद ग्रहण की तिथि से पाँच वर्ष तक होती है और राज्यपाल अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को हो देता है।

तो चलिए अब जानते है कि भारत की पहली महिला राज्यपाल कौन थी

भारत की पहली महिला राज्यपाल कौन थी

bharat ki pahli mahila rajyapal सरोजनी नायडू थी यह भारत की स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद उत्तरप्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं। अपनी लोकप्रियता और प्रतिभा के कारण 1924 में कानपुर में हुए कांग्रेस अधिवेशन में इनको अध्यक्ष भी बनाया गया।

सरोजनी नायडू फोटो

भारत की पहली महिला राज्यपाल श्रीमती एनी बेसेन्ट की प्रिय मित्र और गाँधीजी की प्रिय शिष्या थी इन्होंने अपना सारा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया। इन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं। भारत की पहली महिला राज्यपाल क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थीं। लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था

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२ मार्च 1949 को इनका देहांत हो गया । 13 फरवरी 1964 को भारत सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में 15 नए पैसे का एक डाकटिकट भी जारी किया। इनकी देश के लिए इस उपलब्धियों और अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए देश हमेशा याद करेगा।

जयहिंद।

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